Wednesday, January 14, 2009

waqt

डुबो दी कश्तियाँ जिसने, ज़रा से कुछ इशारों पर॥
लहर बेजार अब वो , सर पटकती है किनारों पर॥


खुली जो आँख तो पाया ,की सूरज सर पे आ पहुंचा।
बसा रक्खी थी ख्वाबो में, ये दुनिया चाँद तारो पर॥

ये दामन छोड़ कर पायेंगे क्या, हम फ़िर संभलने को।
पड़ी ये बूँद है सहरा में , प्यासे बेसहारों पर॥
अमल

Sunday, January 11, 2009

नव उदय


धधक रही जो भाल पर ,
ललाट की मशाल पर ,
बुझे न अग्नि मोड़ दो ,,
दाह के प्रवाह को ।
आघात सर्व व्याप्त हैं ,
पिपासु रक्त हर दिशा ।
बढे चलो बढे चलो ,
अखंड शक्ति साथ है ।
ये दिव्यता ये ऊर्जा ,
ये नव उदय ये चेतना ।
अखंड ज्योति साथ लो ,
बढे चलो बढे चलो ।

अमल

Saturday, January 10, 2009

जीवनी




कभी बहुत खुश ,, कभी कुछ उदास

मेरी जीवनी मेरे आस पास ।

कोई व्यथा,, पीड़ा कोई

कोई चुभन कुछ सर्द अहसास ।

आल्हाद उमंग रंग ,,प्रसन्न मन

नर्म गर्म उच्छ्वास।

कोमल ,,मुलायम

मुडे लचक जाए

हर तरफ़ ऐसा विश्वास ।

कठोर,, बेरहम ,,जल्लाद

हर घड़ी दुखः वेदना भूख प्यास ।

डाह ताप काल

अकाल थमता ब्रह्माण्ड

सर्व विलोमाभास ।

मादक मन मोहक

सुखद आनंदित

राधा मोहन सा प्रेमाभास।

मन मुदित ऊर्जामय

स्वागत हे शुभप्रभात

इस नव दिवस

पर हे जीवनी

पास ही रह ,,मेरे आस पास ।


-अमल






ग़ज़ल क्या है ,, ग़ज़ल का फ़न क्या है ,,
चंद लफ्जों में जैसे आग छुपा दी जाए ।
निदा फाजली

कविता ,,जैसा मैंने पहले ही लिखा है ,,लिखी नही जाती ,, उतरती है ,,और जब भी उतरती है वोः बाध्य कर देती है अपने आपको कलमबद्ध होने के लिए ,, ये कविता ही है जो ख़ुद लिख रही है अपने आपको मुझे माध्यम बना कर ,,जिस भी तरह से आयी मैंने लिख दी ,, अच्छी या बहुत अच्छी आप जाने या रब जाने ।

amal