डुबो दी कश्तियाँ जिसने, ज़रा से कुछ इशारों पर॥
लहर बेजार अब वो , सर पटकती है किनारों पर॥
खुली जो आँख तो पाया ,की सूरज सर पे आ पहुंचा।
बसा रक्खी थी ख्वाबो में, ये दुनिया चाँद तारो पर॥
ये दामन छोड़ कर पायेंगे क्या, हम फ़िर संभलने को।
पड़ी ये बूँद है सहरा में , प्यासे बेसहारों पर॥
अमल
Wednesday, January 14, 2009
Sunday, January 11, 2009
नव उदय
Saturday, January 10, 2009
जीवनी
कभी बहुत खुश ,, कभी कुछ उदास
मेरी जीवनी मेरे आस पास ।
कोई व्यथा,, पीड़ा कोई
कोई चुभन कुछ सर्द अहसास ।
आल्हाद उमंग रंग ,,प्रसन्न मन
नर्म गर्म उच्छ्वास।
कोमल ,,मुलायम
मुडे लचक जाए
हर तरफ़ ऐसा विश्वास ।
कठोर,, बेरहम ,,जल्लाद
हर घड़ी दुखः वेदना भूख प्यास ।
डाह ताप काल
अकाल थमता ब्रह्माण्ड
सर्व विलोमाभास ।
मादक मन मोहक
सुखद आनंदित
राधा मोहन सा प्रेमाभास।
मन मुदित ऊर्जामय
स्वागत हे शुभप्रभात
इस नव दिवस
पर हे जीवनी
पास ही रह ,,मेरे आस पास ।
-अमल
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