Monday, February 13, 2012

ना कोई शिकवा इस जहां से है :

टीस उठती ये फिर कहाँ से है ?


अमल

Sunday, May 1, 2011

ayyaar



कैसे कहूँ कि, इस तरफ अय्यार नहीं हैं.
साहब कहाँ सुनेंगे  ,वो तय्यार नहीं हैं.

क्यूँ बेवजह छतरी  लगाए फिर रहा हैं तू
बारिशों के  दूर तक आसार नहीं हैं

वो ख़ाक ज़ख्म -ए- माजी , वोह मिट गए निशाँ 
आस्तीन उठा के देखो  , ये इस बार नहीं हैं 


अमल 

Wednesday, October 21, 2009

शबे वस्ल की थीं रवायतें ,यूं ही बे नकाब नही हुआ ;;

तेरी जुस्तजू के हैं मायने , मैं यूं ही ख़राब नही हुआ ;;

या के पास आ या बुला मुझे , एक तीरगी सी साथ है ;

आ इसी सहर पे तू आ के मिल,यूं ही आफताब नही हुआ ;;

तेरे साथ सारा दिन रहूँ , तेरे संग संग शाम हो ;

तेरे साथ सारी शब् ढले , मैं यूं ही शराब नही हुआ ;;

अमल

Wednesday, January 14, 2009

waqt

डुबो दी कश्तियाँ जिसने, ज़रा से कुछ इशारों पर॥
लहर बेजार अब वो , सर पटकती है किनारों पर॥


खुली जो आँख तो पाया ,की सूरज सर पे आ पहुंचा।
बसा रक्खी थी ख्वाबो में, ये दुनिया चाँद तारो पर॥

ये दामन छोड़ कर पायेंगे क्या, हम फ़िर संभलने को।
पड़ी ये बूँद है सहरा में , प्यासे बेसहारों पर॥
अमल

Sunday, January 11, 2009

नव उदय


धधक रही जो भाल पर ,
ललाट की मशाल पर ,
बुझे न अग्नि मोड़ दो ,,
दाह के प्रवाह को ।
आघात सर्व व्याप्त हैं ,
पिपासु रक्त हर दिशा ।
बढे चलो बढे चलो ,
अखंड शक्ति साथ है ।
ये दिव्यता ये ऊर्जा ,
ये नव उदय ये चेतना ।
अखंड ज्योति साथ लो ,
बढे चलो बढे चलो ।

अमल

Saturday, January 10, 2009

जीवनी




कभी बहुत खुश ,, कभी कुछ उदास

मेरी जीवनी मेरे आस पास ।

कोई व्यथा,, पीड़ा कोई

कोई चुभन कुछ सर्द अहसास ।

आल्हाद उमंग रंग ,,प्रसन्न मन

नर्म गर्म उच्छ्वास।

कोमल ,,मुलायम

मुडे लचक जाए

हर तरफ़ ऐसा विश्वास ।

कठोर,, बेरहम ,,जल्लाद

हर घड़ी दुखः वेदना भूख प्यास ।

डाह ताप काल

अकाल थमता ब्रह्माण्ड

सर्व विलोमाभास ।

मादक मन मोहक

सुखद आनंदित

राधा मोहन सा प्रेमाभास।

मन मुदित ऊर्जामय

स्वागत हे शुभप्रभात

इस नव दिवस

पर हे जीवनी

पास ही रह ,,मेरे आस पास ।


-अमल






ग़ज़ल क्या है ,, ग़ज़ल का फ़न क्या है ,,
चंद लफ्जों में जैसे आग छुपा दी जाए ।
निदा फाजली