शबे वस्ल की थीं रवायतें ,यूं ही बे नकाब नही हुआ ;;
तेरी जुस्तजू के हैं मायने , मैं यूं ही ख़राब नही हुआ ;;
या के पास आ या बुला मुझे , एक तीरगी सी साथ है ;
आ इसी सहर पे तू आ के मिल,यूं ही आफताब नही हुआ ;;
तेरे साथ सारा दिन रहूँ , तेरे संग संग शाम हो ;
तेरे साथ सारी शब् ढले , मैं यूं ही शराब नही हुआ ;;
अमल
waah!
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